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Friday, December 25, 2020

पैसे नहीं, फार्म हाउस से बच्चे आलू ले आते थे चार माह भरपेट खाने का जुगाड़ हो जाता था

कादियांवाल के संघा फार्म हाउस से मुक्त कराए गए 40 बच्चों की जानकारी मिलते ही उनके 34 परिजन 1650 किमी से अधिक की दूरी तय कर वीरवार को गांधी वनिता आश्रम पहुंचे। इनमें 6 महिलाएं भी शामिल हैं। ठेकेदार बच्चों को अधिक पैसा कमाने का ख्वाब दिखाकर बिहार से आलू फार्म में काम कराने के लिए लाते हैं और फिर उन्हें बंधक बनाकर वर्षों तक काम लेते थे। कई महिलाओं ने बताया कि पैसे तो हजार से 1200

तक ही मिलते थे, मगर बच्चों के काम पर आने से परिवारों को पेट भर खाने के लिए आलू मिल जाते थे। इसलिए वह बच्चों को फार्म हाउस पर काम करने के लिए भेज देते हैं। आलू के सीजन में ढाई से 3 महीने तक काम कराने के बात बता कर बच्चों को घर से यहां लाया गया था और डेढ़ साल से अधिक के समय से बच्चों को बंधक बनाकर काम लिया जा रहा है।

पता ही नहीं होता कि बच्चों को किस शहर में ले गए ठेकेदार

बिहार के सीतामढ़ी, खगड़िया और मधेपुरा जैसे कई जिलों से आए ग्रामीण संजय मांझी, रमेश मांझी, सेमफुल, राम इकबाल, नंदू, इंद्रजीत, नीतू, राकेश, बिंदा राम सूरत ने बताया कि कई महीनों से उनके बच्चों को आलू के फार्म में बंधक बनाकर रखा गया था, उनके छूट जाने की सूचना बचपन बचाओ आंदोलन से मिली है। लोगों का कहना है कि हम अपने बच्चाें को ढाई से 3 महीने के लिए पंजाब में काम करने के लिए आते हैं।

इनमें से कई ने बताया कि बच्चों को लाने वाले ठेकेदार उन्हें किसी माह 1000 तो किसी महीने 1500 रुपए दे देते हैं। उनको यह जानकारी भी नहीं दी जाती हैं कि वास्तव में बच्चों को किस शहर में लेकर काम पर लगाया गया है। इन परिवारों के लिए रुपए ज्यादा मायने नहीं रखते, बल्कि इन लोगों को कुछ महीनों तक पेट भरने के लिए आलू खाने को मिल जाते हैं। कालू काका की रहने वाली बनारसी देवी, सीवर की रहने वाली अंगुली देवी और बिटाना ने बताया कि आलू के फार्म हाउस में काम करने वाले बच्चे एक से डेढ़ क्विंटल आलू ले जाते हैं, इससे हमारे परिवारों का 4 से 5 महीने तक जीवन यापन आसानी से हो जाता है।

इनवेस्टिगेशन रिपोर्ट के बाद बच्चों को परिजनों को सौंप दिया जाएगा...
बिहार से आए लाेगाें को सबसे पहले सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किया गया। यहां पर कमेटी के सदस्यों ने एक-एक करके सभी लोगों की पहचान की और उनके बच्चों के बारे में जानकारी ली। सीडब्ल्यूसी के सीनियर मेंबर अमरजीत सिंह आनंद, डॉ. रोशन लाल का कहना कि फार्म हाउस से छुडवाए गए बच्चों के परिजन बिहार से आए हैं, उनके बयान ले लिए गए हैं। सोशल इनवेस्टिगेशन रिपोर्ट आने के बाद बच्चों को उनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा। डिस्ट्रिक्ट प्रोटेक्शन अफसर अजय भारती ने बताया कि बच्चों को छुड़ाने का प्रोसेस बता दिया गया है। सीडब्ल्यूसी ही आगे की कार्रवाई करेगी।



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No money, children used to bring potatoes from the farm house, they used to have a lot of food for four months.

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December 25, 2020 at 04:36AM

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