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Wednesday, October 28, 2020

पिट गई ‘पिट’ योजना डोर-टू-डोर गार्बेज क्लेक्शन नहीं हो रही, स्मार्ट बिन की जर्मन तकनीक भी कचरा

साल 2020-21 की स्वच्छता रैंकिंग के लिए सर्वे शुरू होने के साथ ही नगर निगम की ओर से गली-मोहल्लों में प्लास्टिक वेस्ट को कम करने और गीले व सूखे कूड़े के लिए प्रोजेक्ट चलाकर घरों में ही ग्रीन कॉलर प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। लोगों को कूड़े की शिकायत ऑनलाइन करने के लिए स्वच्छता एप डाउनलोड करवाई गई लेकिन स्वच्छता सर्वे के लिए कोटा पूरा होने के बाद एप डाउनलोड कराने का अभियान भी धीमा पड़ गया।
बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से 2 से 3 छोटे जिलों को मिलाकर कूड़े को मेकेनिकल तरीके से डिस्पोज करने के लिए बायोवेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने की हिदायत दी गई थी। इसके लिए नगर निगम पठानकोट ने मीरथल के पास घियाला और डेयरीवाल में जगह चयनित की थी लेकिन एयरफोर्स नजदीक होने की वजह से उसे मंजूरी नहीं मिल सकी और बाद में प्रोजेक्ट ही नगर निगम से छिन गया।

योजनाएं जो सिरे नहीं चढ़ सकी...35 जगह लगने थे स्मार्टबिन, जहां उद्घाटन हुआ वह भी बंद

बंद हो चुका है स्मार्ट बिन : अप्रैल 2017 में तत्कालीन मेयर अनिल वासुदेवा ने रामलीला ग्राउंड के पास जर्मन मेड स्मार्ट बिन रखवाकर शहर में और 35 जगहों पर स्मार्ट बिन रखवाने का निजी कंपनी से करार किया था, जर्मन तकनीक से बने यह डस्टबिन सेंसर अधारित 6 फीट नीचे 2 डस्टबिन स्थापित किए थे, एक सूखे व दूसरा गीले कूड़े के लिए था, लेकिन योजना सिरे नहीं चढ़ सकी। रामलीला ग्राउंड में रखवाया स्मार्ट बिन ही बंद हो चुका है।

दौलतपुर में गार्बेज क्लीनिक ही नहीं बन सकी : सितंबर 2018 में नगर निगम हाउस में दौलतपुर डिस्पोजल के साथ खाली पड़ी 2 कनाल जमीन पर शहर से निकलने वाले गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग करके खाद बनाने के लिए दौलतपुर में गार्बेज क्लीनिक बनाकर 40 पिट्स बनाने का प्रस्ताव पास किया गया था जिस पर 11 लाख रुपए का खर्च आना था, लेकिन अभी तक दौलतपुर में कूड़ा इकट्‌ठा करने के लिए पिट्स ही नहीं बनाए जा सके हैं।

कांपेक्टर खरीद का काम अधूरा : पठानकोट शहर में मेकेनिकल तरीके से सफाई कराने के लिए भाजपा के कब्जे वाले पहले नगर निगम हाउस का कार्यकाल खत्म होने से पहले सितंबर 2019 में हाउस की मीटिंग में कांपेक्टर खरीदने का प्रस्ताव पास किया गया था। कांपेक्टर खरीदने के लिए नगर निगम की ओर से 15 से 20 लाख रुपए खर्च किए जाने का प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन डेढ़ साल से उस दिशा में कोई काम नहीं किया जा सका है।

सभी वार्डों से नहीं हो रही कूड़े की लिफ्टिंग

साल 2017 में निगम ने नेचर क्यूब कंपनी से मिलकर फ्रॉम-वेस्ट-टू-कंपोस्ट प्रोजेक्ट शुरू किया था। प्रोजेक्ट में पहले 10 वार्डों के घरों के कूड़े को डेयरीवाल में मटीरियल रिकवरी फेसिलिटी प्वाइंट (एमआरएफ) तक पहुंचाया जाना था। इसके लिए शिमला पहाड़ी पार्क, पर्यावरण पार्क समेत चार जगह पर पिट्स भी बनाए गए थे। फंड को लेकर तनातनी के चलते कंपनी ने काम छोड़ दिया था। इसके बाद शहर के 33 वार्डों में सिर्फ कलेक्शन का काम चल रहा है। अब निगम ने अपने स्तर पर खाद बनाने का काम शुरू किया है।

प्लास्टिक के बारे में अवेयरनेस कैंपेन शुरू करेंगे : कमिश्नर सुरिंदर सिंह
नगर निगम के कमिश्नर सुरिंदर सिंह ने कहा कि पिट्स प्रोजेक्ट पूरी तरह से सफल चल रहा है और उसका रिजल्ट भी सामने आएगा। प्लास्टिक के बारे में भी अवेयरनेस कैंपेन शुरू की गई है। वहीं, पूर्व पार्षद नरेंद्र काला का कहना है कि मशीनरी पुरानी हो चुकी है, जब कूड़ा उठाने के लिए ऑटो को बुलाते हैं तो खराब होने का बहाने कोई आता नहीं है।

विधायक जोगिंदर पाल कर चुके हैं प्रदर्शन

शहर से रोजाना निकलने वाले 80 टन कूड़े को डिस्पोज आफ करने के लिए शहर मे कई जगह पर डंपिंग साइट्स बनाई गई हैं और जहां से गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग करके नगर निगम द्वारा ट्रैक्टर-ट्रालियों के जरिये डेयरीवाल डंप पर फेंका जाता है, लेकिन शहर की गंदगी डेयरीवाल में फेंकने पर कांग्रेस सरकार के ही भोआ के विधायक जोगिंदर पाल इसी महीने विरोध में उतर आए थे और महिला पुलिसकर्मियों को कपड़े फाड़ने की धमकी देकर धरना लगाकर निगम की ट्रालियां भी रोक चुके हैं।



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'Pit' scheme not beaten door-to-door garbage collection; German technology of smart bin is also trash

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October 28, 2020 at 05:13AM

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