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Wednesday, January 6, 2021

उद्घाटन के डेढ़ साल बाद भी तैयार नहीं हो पाया महिलाओं के लिए सखी सेंटर

हिंसा-अत्याचारों का शिकार होने वाली महिलाओं को एक ही जगह पर डॉक्टरी, मनोवैज्ञानिक, पुलिस और कानूनी मदद मिल सके, इसके लिए देशभर में सखी वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर बनाने के आदेश हुए थे। दिल्ली निर्भया गैंगरेप मामले के बाद देशभर में सरकारी सिस्टम की काफी निंदा की गई थी। इसके बाद ही महिलाओं को एक ही जगह पर उनकी समस्या का हल हो सके। इसके लिए ही 2013 में वन स्टॉप सेंटर बनाने का एेलान किया गया था। सरकारों की ओर से की जाने वाली देरी के बाद 2019 में जिले में सखी वन स्टॉप सेंटर की स्थापना के लिए काम शुरू किया गया।

इसके लिए पहले स्टाफ की भर्ती हुई। 2019 में 14 अगस्त को शिक्षा मंत्री विजय इंद्र सिंगला ने सेंटर की इमारत के लिए नींव-पत्थर रखा गया। मगर तब से अब तक डेढ़ साल बीतने के बाद भी इमारत का काम पूरा नहीं हो सका है। 45.5 लाख से ये बिल्डिंग तैयार होनी है, लेकिन अब भी 30 फीसदी से ज्यादा काम बाकी है। वहीं, जालंधर में वन स्टॉप सेंटर की बिल्डिंग जनवरी 2020 में ही पूरी होकर शुरू हो चुकी है। मगर लुधियाना बड़ा शहर और यहां पर अन्य जिलों के मुकाबले ज्यादा महिला उत्पीड़न के मामले होने के बावजूद यहां पर इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।

दिसंबर 2019 में काम हुआ था शुरू, अब तक अधूरा

दिसंबर 2019 में इस बिल्डिंग के लिए काम उद्घाटन के 6 महीने बाद शुरू हो सका था। इसे 6 महीने में पूरा होने की बात कही गई थी, जोकि अभी तक नहीं हो सका। हालांकि कोविड-19 के कारण काम रुका होने की बात कही जा रही थी। मगर कुछ समय पहले हुई जिला स्तर की मीटिंग में डीसी वरिंदर शर्मा की ओर से भी इस सेंटर के काम को तेजी से करवाने के आदेश दिए थे। पहले जहां इस सेंटर के स्टाफ मेंबर्स को सिविल अस्पताल की एमरजेंसी बिल्डिंग में एक कमरा दिया गया था, लेकिन कोविड में वहां पर फ्लू कॉर्नर बनने के कारण स्टाफ को मदर चाइल्ड अस्पताल की बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया।

सेंटर में ही पीड़ित महिलाओं के रहने की भी होगी सुविधा
वन स्टॉप सेंटर की खाली पदों के लिए फिर से इंटरव्यू लिए गए हैं। सेंटर के लिए डॉक्टर, पुलिस, साइकोलॉजिस्ट, वकील होना जरूरी है। सेंटर में घरेलू हिंसा, शारीरिक या मानसिक शोषण की शिकार महिलाएं मुफ्त सहायता पा सकती हैं। यही नहीं अगर किसी महिला को रहना भी हो तो उसके लिए भी रहने का भी प्रबंध होगा। महिलाओं के लिए ये सेंटर 24 घंटे चलेगा, जहां कोई भी पीड़ित महिला किसी भी समय आकर मदद ले सकती है। वर्तमान में इस सेंटर में भी स्टाफ कम है। हालांकि मौजूद स्टाफ की ओर से अस्पताल में भी कई बार जागरुकता के लिए पोस्टर इत्यादि बांटे जाते हैं और आने वाले केसों के संबंध में काम भी किया जाता है, लेकिन बिल्डिंग पूरी होने पर न सिर्फ ज्यादा महिलाओं को इसके बारे में जानकारी होगी, बल्कि उन्हें समय पर मदद भी मिल सकेगी।



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Sakhi Center for Women could not be ready even after one and half year of inauguration

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January 06, 2021 at 05:20AM

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