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Friday, November 27, 2020

कोयला मिलने के बाद 1580 मेगावाट बिजली पैदा करने लगे प्राइवेट थर्मल प्लांट्स, बाकी डिमांड कम होने से स्टैंड बाय मोड पर

प्रवीण पर्व |कोयला पहुंचने के कारण प्रदेश में थर्मल प्लांट से 1580 मेगावाट बिजली मिलने लगी है यानी रोजाना 1580 लाख यूनिट। बिजली बनाने वाली टर्बाइन चलाने वाले भाप के बायलर एक महीने से ठंडे थे, इन्हें दोबारा चला लिया गया है। नाभा पावर और तलवंडी साबो के प्राइवेट थर्मल प्लांट से उक्त बिजली मिलने लगी है। पंजाब में गोइंदवाल साहिब, तलवंडी साबो, रोपड़, बठिंडा सहित 6560 मेगावाट थर्मल पावर पैदा करने की क्षमता है। फिलहाल सभी के लिए कोयला मिलने लगा है।

सभी थर्मल प्लाटों में कोयला पहुंचा, संकट फिलहाल दूर, जालंधर के रास्ते थर्मल प्लांटों के कोयले की दो रेलगाड़ियां रवाना

पंजाब में बिजली की कुल मांग 5200 मेगावाट के आसपास है, जिस कारण सभी प्लांट चलाने की जरूरत नहीं है। इसके चलते केवल 3 प्राइवेट प्लांट चलाए गए हैं। अभी मुख्य तौर पर दूसरे राज्यों की जो बिजली खरीदी जा रही है, वह किसी कारण न मिले तो पंजाब के पास अपने प्लांट चलाने का विकल्प उपलब्ध है। वीरवार को पावरकाॅम के पास 2000 मेगावाट बिजली खुद के संसाधनों की उपलब्ध थी जबकि 3150 मेगावाट सेंट्रल पूल से ली गई। अभी सेंट्रल पूल की बिजली 3 रुपए तक यूनिट में मिल रही है जबकि थर्मल प्लांट कि बिजली की लागत 4 रुपए से ऊपर होती है।

पैसा बचाने के लिए थर्मल प्लांट की बजाय हाइड्रल पावर और सोलर पावर खरीदी जा रही है। पावरकाॅम के लोड डिस्पैच सेंटर मुताबिक किसान आंदोलन के करीब दो महीनों के दौरान कोयला पंजाब न पहुंचने के कारण एक-एक करके सभी थर्मल प्लांट का संचालन असंभव हो गया था। पंजाब को करीब 5 लाख एमटी कोयला चाहिए था। प्लांटों में 15 दिन के कोयले का स्टॉक रखा जाता है।

अब जो कोयले की सप्लाई शुरू हुई है, उसके तहत सबसे पहले 15 दिन का कोयला जमा होगा। अभी जो नाभा व तलवंडी साबो में बिजली के लिए 3 थर्मल प्लांट चलाए गए हैं, ये उनकी कैपेसिटी का आधा है। जो प्लांट स्टैंड बाय हैं, उनमें कोयला स्टाॅक होगा।

अब दूसरे राज्यों को बिजली बेचने पर जोर देना होगा...
थर्मल प्लांट बंद होने पर कई दिन वो बिजली भी केंद्रीय पूल से खरीदी गई है, जिसकी जरूरत नहीं थी। इससे खर्च किए गए करोड़ों रुपए रिकवर करने के लिए पावरकाॅम को दूसरे राज्यों को अपनी बिजली बेचनी पड़ेगी।
मौसम ने दिया साथ, शहरों को कट मुक्त रखने में कामयाबी...
इस समय पंजाब में किसी भी बड़े शहर में कट नहीं है। कृषि सेक्टर में आंशिक कट लग रहे हैं। अभी शहरों में जो कट लग रहे हैं, मुख्य तौर पर फाल्ट उसकी वजह हैं। बिजली तारों पर जमी कार्बन के चलते कोहरा पड़ने से फाल्ट आ जाते हैं।



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गोइंदवाल साहिब थर्मल प्लांट के जाती हुई कोयले की ट्रेन।

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November 27, 2020 at 05:14AM

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