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Thursday, November 26, 2020

रोडवेज के ड्राइवरों का नहीं होता रेगुलर आई चेकअप, डोप टेस्ट भी नहीं, कई ड्राइवर 50 से ज्यादा की उम्र के, 12-12 घंटे तक करते हैं ड्राइव

ड्राइवरों और कंडक्टरों के सालाना मेडिकल टेस्ट के लिए पंजाब ट्रांसपोर्ट विभाग में कोई पॉलिसी ही नहीं है। धुंध का मौसम शुरू हो चुका है और पंजाब रोडवेज में ज्यादा तर 50 से ज्यादा की उम्र के ड्राइवर 12-12 घंटे काम कर रहे हैं। हालात ये हैं कि जिन ड्राइवरों और कंडक्टरों की आंखें कमजोर हो चुकी हैं या जो नशे के आदी हैं वे भी बसों का परिचालन कर रहे हैं। इनके मेडिकल टेस्ट को लेकर कोई पॉलिसी न होना यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ है। अकसर देखा जाता है कि बसें हादसों का शिकार हो जाती हैं।के लिए कोई पॉलिसी एमडी पनबस बोले- बस ड्राइवरों और कंडक्टरों के समय-समय आई चेकअप और डोप टेस्ट ही नहीं

एमडी पनबस बोले- बस ड्राइवरों और कंडक्टरों के समय-समय आई चेकअप और डोप टेस्ट के लिए कोई पॉलिसी ही नहीं

मौजूदा दौर में पंजाब रोडवेज के 18 डिपो में करीब 1600 बसें हैं, जिनका परिचालन 4000 से ज्यादा कंडक्टर व ड्राइवर मिलकर कर रहे हैं, लेकिन इनका डोप टेस्ट और आंखों का रुटीन चेकअप व अन्य मेडिकल टेस्ट न करवाकर यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डाला जा रहा है। पंजाब रोडवेज की बात करें तो इसमें अभी तक केवल ड्राइवर और कंडक्टरों की नियुक्ति के समय ही मेडिकल टेस्ट का प्रोविजन है। उसके बाद रिटायरमेंट तक यानी 58 साल की उम्र तक टेस्ट नहीं किया जाता। हालांकि बस ड्राइवरों के पास कॉमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस होता है जो 3 साल बाद रिन्यू करवाना अनिवार्य है, तब ही आंखें टेस्ट की जाती हैं, लेकिन डोप टेस्ट नहीं होता।

डोप टेस्ट की पॉलिसी इसलिए जरूरी... एल्कोमीटर से बचने को अफीम और भुक्की का करते हैं नशा

राज्य में अधिकतर बसों के ड्राइवर नशे के आदी हैं, जो शराब से ज्यादा अफीम और भुक्की का सेवन करते हैं, क्योंकि शराब का पता एल्कोमीटर से भी लग जाता है, लेकिन भुक्की और अफीम जैसे नशे के बारे में इस मीटर से पुष्टि नहीं होती। इसलिए ड्राइवरों और कंडक्टरों का डोप टेस्ट को लेकर पॉलिसी बनाना आज के दौर में बेहद जरूरी है। यूनियन की माने तो पंजाब रोडवेज की बसों में ज्यादातर पनबस के मुलाजिम ही ड्राइवरी कर रहे हैं, जबकि कई बसों पर 50 साल से ज्यादा की उम्र के ड्राइवर भी स्टेयरिंग थामे हुए हैं, इनकी आंखों में लगे चश्मे का नंबर हर साल बढ़ रहा है, लेकिन रोडवेज की तरफ से उन्हें ड्राइविंग से कहीं और शिफ्ट नहीं किया जा रहा है। पनबस के ड्राइवर 8 घंटे रोजाना ड्यूटी के साथ 4 से 5 घंट का ओवर टाइम भी लगा रहे हैं। यूनियन के सदस्यों का कहना है कि रोडवेज की तरफ से वार्षिक आंखों और डोप टैस्ट का कोई प्रपोजल नहीं है।
ड्राइवरों के मेडिकल टेस्ट पर चल रहा विचार...
पन बस के एमडी भूपिंदर राय ने बताया कि हर ड्राइवरों और कंडक्टरों का डोप और आंखों का टैस्ट करवाने की कोई पॉलिसी नहीं है। लेकिन रोडवेज विभाग इस पर विचार कर रहा है और योजना भी तैयार की जा रही है। अभी मुलाजिमों का कोविड टेस्ट करवाया जा रहा है और हालात सामान्य होने पर डोप टेस्ट सहित अन्य कार्य को पूरी तरह से किया जाएगा।



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November 26, 2020 at 05:17AM

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