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Saturday, November 28, 2020

चार जिलों में पब्लिक डीलिंग, इंस्पेक्शन और क्लेरिकल काम देख रहा एक एमवीआई, इसलिए एमवीआई दफ्तर में प्राइवेट कर्मचारियों का बोलबाला

अनुभव अवस्थी | शहर में हर साल 30 हजार आबादी और वाहनों की संख्या दो गुनी रफ्तार से बढ़ रही है। जिले की सड़कों पर इस समय करीब 15.80 लाख वाहन दौड़ रहे हैं, इनमें करीब 1.05 लाख वाहन कॉमर्शियल हैं। इन के चलने के लिए सड़कें तो चौड़ी हो रही हैं, मगर भास्कर ने पड़ताल में जाना कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के पास मैनपॉवर कम। एक एमवीआई के पास 3 से 4 जिलों का चार्ज है, जिसे एक प्रतिमाह करीब 3500 वाहनों की टेस्टिंग करनी पड़ती है। कॉमर्शियल लाइसेंसों का अप्रूवल और पब्लिक डीलिंग का अलग से काम है। यही वजह है कि विभिन्न कार्यों के निपटारे के लिए एमवीआई को करिंदों का सहारा लेना पड़ता है। इसका खामियाजा हर दिन करीब 10 हजार लोगों को भुगतना पड़ता है।

इस कारण एमवीआई कर्यालय में प्राइवेट कर्मियों की चलती है

जालंधर की बात करें को यहां एमवीआई दविंदर सिंह के पास 4 जिलों का चार्ज वे दो दिन मंगलवार-वीरवार को कार्यालय में बैठते हैं और बाकी दिनों में नवांशहर, होशियारपुर और कपूरथला के कार्यालय में बैठते हैं और हैरानी की बात है इन दफ्तरों में वे अकेले ही 5 कर्मचारियों का काम करते हैं। इनसे पहले जो एमवीआई थे उन्होंने 8 साल तक अकेले ही काम किया। यही प्रमुख कारण है कि एमवीआई कार्यालयों में एजेंटों का बोलबाला है।

1980 के बाद पंजाब में 25 फीसदी वाहनों की वृद्धि हुई, ढाई साल में फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए आए 43 हजार आवेदन

जिलेभर में कॉमर्शियल वाहनों की भरमार है। अक्सर सड़कों पर कंडम वाहनों को दौड़ते हुए देखा जा सकता है। इन वाहनों में आम लोगाें की जान जोखिम में डालकर यात्रा कर रहे हैं। हालांकि एमवीआई कार्यालय का कहना है कि उनके यहां कोई कंडम वाहन पासिंग के लिए नहीं आया है। विभाग की मानें तो तीन साल में फिटनेस प्रमाणपत्र के लिए 43.50 हजार से अधिक आवेदन विभाग के पास आए हैं। इनमें ज्यादातर वाहन सरकारी विभागों के संबंधित रहे हैं। जानकारों का कहना है कि करीब 50 साल से पुराने वाहन भी सड़कों पर दौड़ रहे हैं, मगर विभाग के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

पंजाब के 2015-16 के आंकड़े बताते हैं कि 3-4 साल से मोटराइजेशन में 10 प्रतिशत वृद्धि हुई है। 1980 के बाद से कुल वाहनों में 25 गुना की वृद्धि हुई है। कुल पंजीकृत वाहनों में से 60 प्रतिशत से अधिक छह प्रमुख जिलों यानी लुधियाना, जालंधर, अमृतसर, पटियाला, होशियारपुर और गुरदासपुर में खरीदे गए। सबसे ज्यादा 20 फीसदी हिस्सेदारी लुधियाना की है, जबकि व्हीकल खरीदने के मामले में जालंधर दूसरे नंबर पर है। जिले की आबादी के हिसाब से करीब 2.85 लाख घर हाउस होल्ड सर्वे के मानकों पर खरे उतरे हैं। ऐसे में व्हीकलों की संख्या के हिसाब से देखा जाए तो एक घर में छोटे व बड़े या फिर छोटे और बड़े मिलाकर औसतन 5-6 वाहन हैं।

एसटीसी ने माना कि मैनपॉवर कम है, बढ़ाने के लिए चल रहा काम

वाहनों की मियाद महज 15 साल होती है। इन्हें 5 साल बाद पासिंग कराना पड़ता है। खास बात यह कि फिटनेस सर्टिफिकेट केवल 3 बार ही मिल सकता है। मगर कर्मचारियों की कमी के चलते केवल खानापूर्ति की जाती है। इस बाबत स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (एसटीसी) एपी सिंह का कहना है कि वास्तव में विभाग के पास कर्मचारियों की कमी है। इसे दूर करने के लिए मैनपॉवर बढ़ाने पर काम चल रहा है, इसे जल्द अमलीजामा पहना दिया जाएगा।



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An MVI overseeing public dealing, inspection and clerical work in four districts, so private employees dominate the MVI office

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November 28, 2020 at 05:22AM

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