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Sunday, November 29, 2020

विवादित जमीन पर निगम ने पिछले महीने बना दी शीतल नगर रोड, हाईकोर्ट में जवाब देने से पहले अब करवाई निशानदेही

नगर निगम और ड्रेनेज डिपार्टमेंट की लापरवाही से सब्जी मंडी के पास शीतल नगर व आसपास की काॅलोनियों के लिए परेशानी पैदा हो गई है। पिछले महीने काला संघिया ड्रेन के किनारे नगर निगम ने टू-लेन नई रोड बनाई, कच्चे रास्ते से कई वर्षों से गुजर रहे लोगों को इससे राहत मिली लेकिन इस पूरे मामले में कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है।

स्थानीय निवासी अमरजीत सिंह नागरा का अदालत में दावा है कि जहां सड़क बनाई है, वो जमीन उनकी है। ये जमीन सरकारी नहीं। उन्होंने साल 2014 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में इसके संबंध में सिविल रिट पिटीशन डाली थी।

जब काला संघिया ड्रेन के किनारे उनकी जमीन खोदकर सीवरेज बिछा दिया गया था। इसी दौरान नगर निगम ने विवादित जमीन पर सड़क बना दी। इस केस की 2 दिसंबर को सुनवाई से पहले प्रशासन द्वारा जमीन की पैमाइश करवाई गई है। जिस सड़क पर विवाद है, उससे शीतल नगर के नजदीक न्यू शीतल नगर, सूर्या विहार और बाकी सटे इलाकों को सिटी से संपर्क मिला है। जब तहसीलदार विजय कुमार, कानूनगो गुरदीप सिंह, पटवारी वरिंदर कुमार, नगर निगम के एसडीओ जसपाल सिंह व ड्रेनेज आदी के इंजीनियर मौके पर पहुंचे तो काॅलोनियों के लोग भी एकत्रित हो गए थे।

सुबह 10:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक चला काम, लोगों को चिंता आने-जाने की राह बंद न हो जाए

पैमाइश करने आए स्टाफ से उलझे इलाकावासी

जमीन के मालिक ने ड्रेनेज विभाग पर केस किया था लेकिन 2005 में नगर निगम के खिलाफ स्थानीय अदालत में केस कर दिया। इस केस की सुनवाई में 2009 में कहा गया कि उनकी किसी भी जमीन के इस्तेमाल की योजना नहीं है। जिस पर उन्होंने केस वापस ले लिया।

फिर साल 2014 में उन्होंने अपनी जमीन के भीतर से सीवरेज डाले जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में मामला रखा। आमतौर पर सरकार ने कोई प्रोजेक्ट स्थापित करना होता है तो वह जमीन का मुआवजा दे देती है, फिलहाल ये मुआवजा भी नहीं मिला। एरिया पर मकान बने होने के कारण इस बार मशीन से डिजिटल पैमाइश करवाई गई है। उधर, लोगों को इस बात पर चिंता है कि कहीं उनके आने-जाने का राह ही बंद न हो जाए। इस कारण वे स्टाफ से उलझते रहे।

आगे क्या?
काॅलोनियों की सड़क पर फैसला हाईकोर्ट ने करना है। इसमें पहला विकल्प है केस करने वालों को मुआवजा देना। दूसरा विकल्प है जमीन खाली करके सड़क व सीवरेज का दूसरा इंतजाम करना है, जोकि बेहद जटिल व खर्चीला है।



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On the disputed land, the corporation made Shital Nagar Road, last month, before giving a reply in the High Court, it was now traced

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November 29, 2020 at 04:35AM

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