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Wednesday, January 6, 2021

5 साल में 210 ट्रैवल एजेंटों पर 323 पर्चे, 90% केसों में 2 माह में समझौता, एक को भी सजा नहीं

पंजाब में हर साल करोड़ों रुपए ऐंठने वाले ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ लुधियाना पुलिस ने सख्ती कर धड़ल्ले से एफआईआर तो रजिस्टर कर दी, लेकिन उन्हें सजा दिला पाना मुश्किल है। पिछले 5 सालों में दर्ज 293 ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ 323 पर्चों के मामलों में एक भी एजेंट को सजा नहीं हुई, क्योंकि कुछ में केस का फॉर्मेट कमजोर रहा तो कई मामलों में पीड़ित पक्ष ही बैकफुट पर आ गया।

इस वजह से आरोपी जेल से छूटते गए। विभागीय सूत्रों के मुताबिक पुलिस आंकड़ों में जितने भी एजेंटों के खिलाफ पर्चे दर्ज किए गए, उसमें से 90 फीसदी ने उन्हीं जगहों पर अपने दफ्तर दोबारा खोल लिए, जिन दफ्तरों में बैठकर उन्होंने ठगी का कारोबार शुरू किया था। नतीजतन लोग दोबारा उनके चंगुल में फंसकर पैसे दे रहे हैं। बाद में काम न होने पर शिकायतें देने को मजबूर हैं। इसमें से बहुत-सी शिकायतें अफसरों के मेजों तक सिमटकर रह जाती है। पुलिस रिकॉर्ड में जिले के 60 फीसदी एजेंट ऐसे हैं, जिनके खिलाफ शिकायतें थाना लेवल से लेकर सीपी दफ्तर तक आई हैं।

जेल से बाहर आते ही दोबारा शुरू कर देते हैं ठगी, पुलिस नहीं रखती नजर

हाईप्रोफाइल केसों में ही गिरफ्तारी: ठगी के इन मामलों में गिरफ्तारी न के बराबर है। हां, अगर मामला हाईप्रोफाइल है तो उसमें पुलिस जरूरी तेजी दिखाती अन्यथा बाकी मामलों में मामले को आया-गया कर दिया जाता है। उदाहरण के लिए पुलिस ने पिछले दिनों जिन 200 ट्रैवल एजेंटों पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी, उसमें से 55 फीसदी के खिलाफ पहले भी पर्चे दर्ज थे, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई थी और वो फिर भी एजेंटी का धंधा चला रहे थे।

पुलिस और पीड़ित दोनों कमजोर कड़ी, इसलिए बच जाते हैं ठग- एजेंटों के बचने का सबसे बड़ा कारण पुलिस की ओर से एफआईआर के फॉर्मेट और जांच में कमी छोड़ना है। इस वजह से केस कोर्ट में पहुंचते ही दम तोड़ देता है, क्योंकि मामले को जिसे आधार बनाकर दर्ज किया जाता है, उसमें फैक्ट की कमी होती है। इसमें दूसरा बड़ा कारण पीड़ित पक्ष है, जोकि आरोपी एजेंटों के साथ समझौता कर लेते हैं। पुलिस ने केस को मजबूत बनाया जाता है, लेकिन उनके समझौते की वजह से केस में कुछ बच ही नहीं पाता और आरोपी छूट जाता है।

कमजोर तथ्यों की वजह से बच जाते हैं आरोपी

^ऐसे मामलों में केस का बेस सही ढंग से नहीं बनाया जाता। इसमें कुछ तथ्यों की कमी रहती है। जब वो केस कोर्ट में पहुंचता है तो दम तोड़ देता है। लेन-देन का ब्योरा, दस्तावेजों का रिकॉर्ड और गवाहों के बयान मायने रखते हैं, यही चीजें कोर्ट में पहुंच नहीं पाती। इस वजह से आरोपी आसानी से बच जाते हैं। -गगनदीप सिंह, वकील

एजेंट खोखर मामले की जांच को बनाई एसआईटी- विदेश के नाम पर ठगने वाले पंकज खोखर और साथियों पर पहले दर्ज मामलों के अलावा ताजा मामले में सीपी ने एसआईटी बनाई। पहले आरोपी की गिरफ्तारी हुई या नहीं, अगर नहीं हुई तो कौन जिम्मेदार है। इसके साथ ही कामकाज का सारा रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। सीपी ने बताया कि जांच को टीम बनाई गई है, जोकि जल्द रिपोर्ट पेश करेगी।



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323 pamphlets on 210 travel agents in 5 years, agreement in 2 months in 90% cases, no one punished

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January 06, 2021 at 05:08AM

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