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Monday, December 28, 2020

आंदोलन में शामिल फाजिल्का के वकील ने खुदकुशी की; पीएम को लिखा- जान दे रहा हूं, ताकि आवाज सुनें

नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब समेत देशभर के किसान 32 दिन से दिल्ली बॉर्डर पर जमे हैं। इस बीच फाजिल्का के एक वकील ने रविवार सुबह 8:45 बजे टीकरी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन वाली जगह से कुछ दूर जहर खाकर खुदकुशी कर ली। इससे पहले वकील अमरजीत सिंह राय (60) ने पीएम के नाम सुसाइड नोट भी लिखा। जहर खाने के बाद उन्होंने फोन कर अपने क्लर्क को भी सूचित किया। घटना स्थल पर एक सुसाइड नोट व चिट्ठी भी मिली है, जिसमें उन्होंने किसानों का दर्द बयान किया है। किसान आंदोलन के दौरान यह खुदकुशी का तीसरा मामला है। अमरजीत 19 दिसंबर से टिकरी बॉर्डर पर धरने में शामिल थे ।

घटना के बाद उन्हें रोहतक पीजीआई ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। अमरजीत सिंह के दो बच्चे, एक बेटा और एक बेटी है। किसान संगठनों और सरकार के बीच 29 दिसंबर को एक बार फिर वार्ता होगी। गौरतलब है,16 दिसंबर को करनाल के 65 साल के संत बाबा राम सिंह ने गोली मारकर खुदकुशी कर ली। वहीं, 20 दिसंबर को बठिंडा के रामपुरा फूल में गुरलाभ सिंह ने जहर खा लिया था। उनके आखिरी बोल थे-पता नहीं क्या होगा करोड़ों किसानों का।

भास्कर विनम्र अपील... ये सही नहीं है, इसे रोकने को आगे आएं

जीवन अमूल्य है, इसे खत्म करना किसी भी समस्या का समाधान नहीं, बल्कि परिवार के लिए अंतहीन दर्द है। सरकार आपकी बात सुनेगी, आज नहीं तो कल हल जरूर निकलेगा। ऐसी घटनाएं पंजाब ही नहीं, सभी को झकझोरती हैं। इसके लिए किसान जत्थेबंदियों को आगे आना होगा, ऐसा न करने की न केवल अपील करें बल्कि इसे हर हाल में रोकना भी होगा।

वकील अमरजीत ने सुसाइड नोट में लिखा कि वह किसानों के आंदोलन के समर्थन में बलिदान दे रहे हैं, ताकि सरकार लोगों की आवाज सुने। इन काले कानूनों के कारण किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कुछ लोगों के ही बनकर रह गए। तीनों कृषि बिल किसान, मजदूर और आम आदमी का जीवन तबाह कर देंगे। आम आदमी की रोजी-रोटी मत छीनो। अब तक इस आंदोलन में 30 से ज्यादा किसानों जान गंवा चुके है। मैं भी विश्वव्यापी इस आंदोलन में अपना बलिदान दे रहा हूं ताकि सरकार की आत्मा को कुछ सुनाई दे। अंत में लिखी ये शायरी...
किसान दी मजबूरी ए, मोदी की मशहूरी..

सूबे की अनाज मंडियों, पक्के मोर्चों, गुरुद्वारों में विरोध प्रदर्शन

जालंधर | कृषि कानूनों के विरोध में प्रदेशभर में और 32 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे आंदोलनरत किसानों ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम का थालियां बजाकर बॉयकाट किया। सूबे में बठिंडा, मानसा, संगरूर, मुक्तसर, मलोट नवांशहर, पटियाला, होशियारपुर, गुरदासपुर, अमृतसर, बटाला, जालंधर समेत कई जिलों के टोल प्लाजा, रिलायंस के पंपों, गुरुद्वारों समेत अनाज मंडियों में जुटे किसानों, इंटक मजदूरों, अध्यापकों, रिटायर्ड पुलिस कर्मचारी एसोसिएशन के सदस्यों ने थालियां बजाईं। कांग्रेस, शिअद, आम आदमी पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने भी विरोध प्रदर्शन किया।

ज्यादातर लोग दिल्ली बॉर्डर पर पिकनिक मनाने जा रहे: तीक्ष्ण

भाजपा के पूर्व मंत्री तीक्ष्ण सूद ने दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों को लेकर कहा कि ज्यादातर किसानों को तो खेती कानूनों के नाम तक नहीं पता और दिल्ली धरने में ज्यादातर लोग पिकनिक मनाने जा रहे हैं, पैसा बाहर से आ रहा है, जो लोग कभी कानून रद्द करने और कभी संशोधन करने की बात कर रहे है वह किसान है ही नहीं। वहां कृषि कानूनों का नहीं भाजपा का विरोध हो रहा है और इसके पीछे कांग्रेस है।

किसानों की जमीन को कोई भी नहीं छीन सकता
किसान 2 साल इंतजार करें, कृषि कानूनों का लाभ नहीं मिला तो सरकार फिर चर्चा करेगी। किसानों की जमीन कोई नहीं छीन सकता। करार फसल का होगा, जमीन का नहीं। विपक्ष भ्रामक प्रचार कर रहा है। एमएसपी खत्म करने का इस सरकार का न तो कभी इरादा था, न है और न रहेगा।’
-राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री



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Fazilka's lawyer involved in the movement committed suicide; Wrote life to PM, so that I can hear the voice

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December 28, 2020 at 05:18AM

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