कोरोना शुगर और ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए ज्यादा खतरनाक है। यह बात बीते 35 दिनों में साबित हुई है। क्योंकि एक नवंबर से 5 दिसंबर तक 112 मरीजों की मौत हुई, जिनमें से 93 मरीजों को शुगर और ब्लड प्रेशर था। मेडिकल साइंस के मुताबिक शुगर के मरीजों की आम स्वस्थ्य मरीज के मुकाबले इम्युनिटी पहले से काफी कमजोर होती है, जिस कारण संक्रमण होने के बाद वह रिकवर नहीं कर पा रहे है।
वहीं वर्तमान स्थिति की बात करें तो डॉक्टरों का कहना है कि शुगर और ब्लड प्रेशर के जिन मरीजों को कोरोना हो रहा है, उन्हें लक्षण आते ही हालत एकदम खराब हो जाती है। यहां तक कि कइयों की 24 घंटे में मौत भी हो गई। वहीं, जिनका ब्लड प्रेशर स्थिर नहीं रहता, उन्हें स्ट्रेस के कारण हार्ट अटैक भी आ रहा है।
वहीं, शनिवार को कोरोनावायरस के 117 नए मामले सामने आए हैं। इनमें से 37 लोग जिले के बाहर के हैं। वहीं शनिवार को कोरोना के इलाज के दौरान जिले में 4 मरीजों की मौत हो गई। शनिवार तक कुल संक्रमितों की गिनती 575 पर पहुंच गई है।
अब तक के सबसे बुजुर्ग मरीज की मौत शनिवार को अब तक के उम्रदराज 95 साल के बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया। रिपोर्ट के मुताबिक बुजुर्ग को कोरोना के अलावा और कोई बीमारी नहीं थी लेकिन शरीर में इंफेक्शन होने के चलते वे रिकवर नहीं कर पाए।
वहीं बुजुर्ग के पारिवारिक सदस्यों ने बताया कि बुजुर्ग को कुछ दिन पहले कोरोना की पुष्टि हुई थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाया गया। संक्रमण से पहले वे पूरी तरह स्वस्थ्य थे। इसके अलावा जिन तीन मरीजों की मौत हुई उनकी उम्र 49, 57 और 62 साल थी।
साइलेंट हार्ट अटैक से मरने वालों की दर 60%
जिन मरीजों की शुगर और बीपी है, उनमें से करीब 60 फीसदी की साइलेंट हार्ट अटैक से मौत हुई है। इनकी उम्र भी 60 साल से ज्यादा रही। डाॅक्टरों के मुताबिक शुगर के मरीजों की दिमाग की नस फटने का भी डर रहता है। महीने में तीन ऐसे मरीज रहे, जिनकी 24 घंटे में ही मौत हो गई।
परिजनों के मुताबिक इन मरीजों को सांस लेने में दिक्कत, खांसी आई और वे बेहोश हो गए थे। सेहत विभाग की बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक 8 महीने में पहली बार सबसे अधिक मरने वाले मरीजों में बीपी और शुगर की बीमारी से मरीज थे। संक्रमण इनके शरीर में प्रवेश करके ब्लड क्लोटिंग शुरू कर देता है। इससे खून का बहाव बाकी अंगों तक नहीं पहुंच पाता। ऐसे मरीजों का रक्त पता रहना बहुत जरूरी है ताकि दिल तक खून की सप्लाई पूर्ण तौर पर होती रहे।
ब्लड पॉयजनिंग के साथ आईसीयू साइकोसिस का भी शिकार हो रहे मरीज : एसएमओ
सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. कश्मीरी लाल का कहना है कि मरीजों को कोविड-19 के संक्रमण के होने के बाद शरीर में सेप्टिसीमिया के साथ फंगल इंफेक्शन भी हो रहा है। इससे फेफड़ों में इसका ज्यादा असर दिखाई देता है। इससे सेचुरेशन कम हो जाती है। जिन मरीजों को ब्लड प्रेशर है, वे आईसीयू साइकोसिस का शिकार हो जाएं तो उन्हें लगता है कि वे ठीक ही नहीं हो पाएंगे। इससे हार्ट अटैक की नौबत आ जाती है।
फेफड़ों-पेनक्रियाज पर कोरोना का असर
कोरोना सिर्फ फेफड़ों को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि बाकी अंगों पर भी असर डालता है। शुगर के मरीजों में यह पेनक्रियाज पर भी इसका असर देखने को मिला है। इस कारण इंसुलिन लेवल काफी कम हो जाता है और शुगर कंट्रोल नहीं होती। इसका अलावा भी जब मरीज को कोरोनावायरस के इलाज के दौरान स्टीराॅयड दिया जाता है तो उसके कारण भी शरीर में शुगर लेवल बढ़ता है।
शुगर लेवल 100 से 120 में स्टेबल रखें : डाॅ. ग्रोवर... डाॅ. एसपीएस ग्रोवर का कहना है कि शुगर से पीड़ित मरीज अपनी दवा नियमित तरीके से लेते रहे और खाली पेट सुबह शुगर 100-120 और खाना खाने के बाद 140 से 150 के बीच में रखे। कई मामलों में शुगर मरीज जब घर आता है तो उसे हार्ट अटैक पहले ही आ चुका होता है शुगर के मरीज को कोरोना के लक्षण दर्द भरे नहीं होते हैं लेकिन संक्रमण शरीर को काफी नुकसान कर चुका होता है।
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December 06, 2020 at 04:33AM
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