मेयर कैंप ऑफिस के सामने, निगम की रोजगार्डन के साथ वाली सरकारी जमीन पर 50 साल पहले से कब्जा कर बनाए गए करीब 70 मकानों को बिल्डिंग ब्रांच ने सोमवार को अचानक बुल्डोजर चलाते हुए गिरा दिया। करीब 50 सालों से वहां पर रहे लोगों को नगर निगम और पावरकॉम की तरफ से सुविधाओं के तौर पर बिजली, पानी, सीवरेज और सड़क का निर्माण तक करवाया गया है। इससे यही साबित होता है कि सरकारी महकमों ने ही सरकारी जमीन पर कब्जाधारियों को कब्जा करने का हक दे दिया था। वहीं, रहती कसर नेताओं ने भी वोट बैंक की खातिर वोटर कार्ड, आधार कार्ड और अन्य सुविधाएं देकर पूरी कर दी।
नेताओं ने वोट बैंक के तौर पर किया इस्तेमाल
सरकारी जमीन पर हुए कब्जे के मामले में ये बात भी निकल कर सामने आई है कि चुनाव के समय वोट बैंक के तौर पर इन लोगों का इस्तेमाल किया जा सके, इस उद्देश्य से यहां पर सालों से कब्जाधारियों को जमाए रखा गया। अब सोमवार को जब कार्रवाई हुई तो लोगों का गुस्सा बाहर आया और खुलकर सांसद, मंत्री, मेयर और पार्षद पर आरोप लगाए। यहां तक लोगों ने कह दिया कि वोट की खातिर तो यहां पर हर चुनाव से पहले आते हैं और उन पर कोई कार्रवाई न होने का भरोसा दिया गया है।
पावरकाॅम के चीफ इंजीनियर से लेकर एसडीओ तक टालते नजर आए बात-सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे करके बनाए मकानों को पावरकॉम ने बिना निगम से पूछे सीधे बिजली के कनेक्शन जारी कर दिए। वहीं, इस लापरवाही के संबंध में जब चीफ इंजीनियर भूपिंदर सिंह खोसला से बात करनी चाही तो उन्होंने ये कहा कि वह संबंधित डिवीजन से इसका जवाब मांगेंगे। जब संबंधित डिवीजन के एक्सईएन रमेश गौशल से बात की तो उन्होंने इसके बारे में एसडीओ शिव कुमार से बात करने को कह दिया। जब एसडीओ शिव कुमार से बात करते हुए ये पूछा कि सरकारी जमीन पर कब्जाधारियों पावरकॉम ने मीटर कैसे लगा दिए तो उन्होंने संबंधित इलाके की जिम्मेदारी जेई के पास होने की बात करते हुए जेई से रिपोर्ट मांगने की बात कहते हुए पल्ला झाड़ लिया।
आरोप : 2019 में निगम ने दिए थे नोटिस तब मेयर, सांसद ने दिया था कार्रवाई न होने का आश्वासन
महेश ने बताया कि उनका परिवार यहां 50 साल से रह रहा है। इसी पते पर वोटर कार्ड भी है। 2019 में मेयर बलकार संधू और एमपी बिट्टू, पार्षद गुरप्रीत गोगी ने कार्रवाई न होने का आश्वासन दिया था।
जेनियर राय ने बताया कि इसी पते पर आधार कार्ड भी है। निगम की ओर से पानी-सीवरेज कनेक्शन भी दिया गया है। कार्रवाई से पहले कोई सूचना भी नहीं दी गई। अचानक से की गई की गई कार्रवाई से काफी नुकसान हो गया।
सुशील रानी ने बताया कि अचानक सुबह उनके घर के बाहर भारी पुलिस फोर्स आ गई और कहने लगे कि 30 मिनट में घर खाली कर दें। अब घर टूटने के बाद कहां रहेंगे।
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December 22, 2020 at 04:38AM
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