डाॅ. मनीष शर्मा और राजीव धमीजा की रिपोर्ट..।सिटी के लोगों की समस्या दूर करने, सुविधा मुहैया कराने से लेकर आम लोगों से लेकर शहर की बेहतरी के लिए योजना बनाने वाले हमारे मेयर और पार्षदों के पास कोई प्रेक्टिकल रोड मैप नहीं है। बड़े प्रोजेक्ट तो दूर सड़क, पानी, सीवरेज, डंप और सफाई व्यवस्था में बेहतरी के काम की कोई डेडलाइन नहीं है। इन पार्षदों को चुने जाने के बाद कुछ हफ्ते का ट्रेनिंग सेशन लगाना चाहिए ताकि उन्हें अपने अधिकार, केंद्र से राज्य सरकार की योजना, रेवेन्यू आदि के बारे में सही जानकारी हो सके क्योंकि हाउस की मीटिंग में देखा कि हमारे पार्षदों की न कोई दशा है और न ही दिशा।
पार्षदों के कम ज्ञान पर अफसर मीटिंग में उन पर हंसते हैं और ठोस काम करने की बजाय वे भी पार्षदों के अनुसार ही काम चलाते रहते हैं। तभी तो 3 साल बाद पार्षद पूछते हैं कि सिटी में कुत्ते कितने हैं, अवैध काॅलोनी कितनी हैं? सरकार की गाइडलाइन के अनुसार निगम प्रशासन सॉलिड वेस्ट रूल-2016 का पालन नहीं कर पाया, इसलिए हाउस में आधा दर्जन पार्षद सिर्फ डंप, सफाई सेवक और सीवरेज समस्या को लेकर शोर मचाते रहे।
3 साल बाद भी पार्षद पूछते हैं, शहर में कुत्ते कितने हैं...
सभी के पास कहने को बहुत-कुछ है लेकिन करने को कुछ भी नहीं है
मेयर के पास कोई ठोस जवाब नहीं। सवाल करने वालों से ‘दफ्तर आ जाना’ कह देते हैं। तभी तो अगली मीटिंग में भी यही मसला रहता है। पूरी मीटिंग सिर्फ आईवॉश है सिटी के लोगों के लिए। निगम की हरेक ब्रांच का काम अधूरा है, सभी के पास कहने को बहुत कुछ है, लेकिन करने को कुछ नहीं।
पुराने मसलों पर होता है फोकस, कोरम पूरा करना है- एजेंडा पास करवाना है
नई योजना, फंड कहां से आए, पब्लिक भागीदारी कैसे बढ़े? इसकी बजाय फोकस पुराने मसले पर रहता है, जबकि इसका कोई लेना-देना नहीं। मीटिंग का कोरम पूरा होता है और एक ही बात तय रहती है कि एजेंडा पास कराना है। अफसरों की भी सोच रेहड़ी, अवैध काॅलोनी, डंप से आगे दिखाई नहीं दी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
https://ift.tt/3mtLoIr
December 02, 2020 at 04:57AM
No comments:
Post a Comment