वारिस मलिक | राज्य में प्राइवेट बसों का जाल किस कदर बढ़ चुका है इसका अंदाजा इस बाद से लगाया जा सकता है कि मौजूदा दौर में सरकारी बस स्टैंडों से सरकारी बसों से कहीं ज्यादा प्राइवेट बसें निकल रही हैं। कभी पंजाब रोडवेज के बेड़े में 2407 बसों का फ्लीट होता था और फाजिल्का, अमृतसर और दिल्ली रूट पर सिर्फ सरकारी बसों की मोनोपली होती थी, लेकिन आज इन्हीं रुटों पर सबसे ज्यादा निजी बसें दौड़ रहीं है। 2017 में कैप्टन सरकार ने राज्य में बढ़ रहे प्राइवेट बस माफिया का मुद्दा भी काफी जोर से उठाया था, जिसे मौजूदा वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और विधायक नवजोत सिंह सिद्धू भी उठा चुके हैं, लेकिन सरकार आने के बाद से ही सरकारी बसों का बुरा हाल है और प्राइवेट बसों का नेटवर्क लगातार बढ़ रहा है। इससे पंजाब सरकार को राजस्व का नुकसान तो हो ही रहा है, पंजाब की सरकार ट्रांसपोर्ट कंपनी भी दम तोड़ रही है। 2017 के दौरान सत्ता में आने के बाद 9-10 जून को पंजाब सरकार के विजिलेंस विभाग की तरफ से पंजाब भर में अवैध रूप से चलने वाली बसों पर बड़ी कार्रवाई की थी, लेकिन तब से लेकर अब तक कार्रवाई बिलकुल बंद है।
3 प्राइवेट बसों के बाद एक ही सरकारी बस... जालंधर बस स्टैंड से मौजूदा दौर में रोजाना 250 से 300 सरकारी बसें ही रूट पर निकल रही हैं। जालंधर बस स्टैंड में करीब 3 बसों के पीछे 1 सरकारी बस निकल रही है, यही हाल पूरे पंजाब का है। राज्य में इस समय पंजाब रोडवेज के पास 1600 से ज्यादा बसें है जिसमें 1100 से ज्यादा बसें पनबस में शामिल हैं और बाकी बची बसें रोडवेज के बेड़े में है। इस समय 1000 से ज्यादा से सरकारी बसों का समय फ्री है, जिनपर निजी आपेरटर सवारियां उठा रही हैं। इसके अलावा पंजाब रोडवेज के पास कई ऐसी बसें हैं जो बिना ड्राइवर और कंडक्टर के डिपो में भी खड़ी रहती हैं, क्योंकि रोडवेज के पास स्टाफ ही नहीं है। कोविड-19 से पहले पंजाब रोडवेज की तरफ से राज्य के अलग-अलग डिपो में 500 ड्राइवर और 500 कंडक्टर रखने की योजना बनाई गई थी, लेकिन रोडवेज यूनियनों ने के विरोध के बाद भर्ती को रद्द करना पड़ा।
60 : 40 की रेशो हुई खत्म... पंजाब गवर्नमेंट ट्रांसपोर्ट वर्कर यूनियन के स्टेट जनरल सेक्रेटरी जगदीश चाहल ने कहा कि पहले की सरकार खुद ट्रांसपोर्टरों की थी। गठबंधन सरकार के रिपीट होने के बाद 60 ः 40 की को 40 : 60 किया गया, जिसमें 40% सरकारी और 60% निजी आप्रेटरों को एडजस्ट किया गया, लेकिन आज हालात यह है कि सरकार की बसें तो नामात्र दिखती हैं। अभ 4 साल से ज्यादा कांग्रेस को भी हो चुके हैं, लेकिन अब तक रोडवेज की पॉलिसी ही नहीं आई है। कैप्टन सरकार भी गठबंधन की तर्ज पर ही काम कर रही है, अब उनकी भई अवैध बसें शुरू हो चुकी हैं।
फंड की कमी के चलते नई बसों का प्रपोजल नहीं... पंजाब रोडवेज के सीनियर अधिकारियों ने बताया कि कोविड के चलते फंड की कमी है और सरकार अभी नई बसों को डालने की प्रपोजल नहीं ला रही है। हालांकि कोविड से पहले बीएस-6 इंजन वाली बसों के साथ राज्य में करीब 100 इलेक्ट्रिकल बसें भी डालने की प्रपोजल तैयार की गई थी जो अभी स्थगित कर दी गई है।
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December 02, 2020 at 05:12AM
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