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Sunday, December 6, 2020

5 लोगों के पॉजिटिव होने के बाद ब्लड बैंक में तैनात व डिसमिस स्टाफ की योग्यता जांचेगी ड्रग अथॉरिटी

सिविल अस्पताल बठिंडा में एचआईवी संक्रमण के पांच केसों के होने के बाद अब ड्रग अथॉरिटी की नींद खुली है। संक्रमित रक्त चढ़ाने के लगातार मामले होने के बाद अब ड्रग कंट्रोल विभाग ने ब्लड बैंक में तैनात टेक्निशियनों के साथ-साथ डिसमिस किए जा चुके कांट्रेक्ट कर्मचारियों की शैक्षणिक योग्यता का रिकार्ड सेहत विभाग से तलब किया है।

इसमें तैनात कर्मचारियों की योग्यता, अनुभव व तैनाती के समय की जानकारी आदि का पूरा ब्यौरा मांगा गया है। थेलेसीमिया वेलफेयर एसोसिएशन व थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के परिजनों द्वारा सरकार व जिला प्रशासन से ब्लड बैंक में तैनात टेक्निशियनों व डिसमिस किए जा चुके कर्मचारियों की शैक्षणिक व टेक्नीकल योग्यता की जांच करवाने की मांग उठाने के बाद यह कार्रवाई होने जा रही है।

ड्रग अथॉरिटी के कंट्रोल में आते ब्लड बैंक में पिछले करीब दो साल से एक बार भी सिस्टम की सही जांच की जहमत नहीं उठाई गई। इस बात पर कभी गौर नहीं किया गया कि छोटी सी खामी किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकती है।

थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के एचआईवी संक्रमित होने के बाद अब जाकर ड्रग अथॉरिटी को जिम्मेदारी निभाना याद आया है जिसमें डिसमिस कर्मचारियों तक का रिकार्ड मांगा है यानी की योग्यता जांचने की शायद पहले जरूरत नहीं समझी गई।

अनट्रेंड कर्मियों की नियुक्ति होने का संदेह

थैलेसीमिया एसोसिएशन के पदाधिकारी प्रवीण कुमार व महिंदर सिंह ने आरोप लगाया कि हालातों को देखकर ऐसा लगता है कि ब्लड बैंक में अनुभवी कर्मचारियों की जगह अनट्रेंड या कम अनुभवी कर्मियों को कमान दी गई।

उन्होंने कहा कि ब्लड बैंक व अस्पताल की विभिन्न लैब में तैनात कई टेक्निशियनों की पर्याप्त योग्यता की सेहत विभाग को तुरंत जांच करवानी चाहिए, क्योंकि अस्पताल में रेगुलर पैथोलॉजिस्ट के तैनात होने के बावजूद ब्लड बैंक में अनट्रेंड अधिकारी को तैनात किया गया, जहां पहले ही कई कम या अनट्रेंड टेक्निशियन तैनात थे।

उन्होंने कहा कि अगर विभाग कर्मचारियों की योग्यता व अनुभव के बारे में जांच नहीं करवाई तो, इसके लिए भी संघर्ष किया जाएगा। ब्लड बैंक मानकों के अनुसार एक पैैथोलॉजिस्ट, टेक्नीशियन, स्टाफ नर्स व काउंसलर का होना आवश्यक है।

लगातार लापरवाही के बाद ड्रग अथॉरिटी ने उठाया कदम

सिविल अस्पताल में इस बात की चर्चा है कि कहीं न कहीं कर्मचारियों की तैनाती में राजनीतिक संरक्षण में पद देने जैसी चीजें हो सकती हैं। अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित चार बच्चों के साथ एक महिला को एचआईवी पॉजिटिव रक्त चढ़ाने के मामले में हुई कई जांच में ब्लड बैंक में तैनात स्टाफ की कमियों को लेकर कई जांचों में गंभीर सवाल उठाए गए हैं जिसमें बिना जांच एचआईवी संक्रमित रक्त जारी करना सबसे ऊपर है।

पंजाब राज बाल रक्षा अधिकार आयोग ने भी अपनी आपत्ति जताई है तथा इस मामले में राज्य के सेहत सचिव को जांच करवाने की हिदायत भी दी थी। वहीं सिविल सर्जन बठिंडा से रिपोर्ट तलब कर पूरे मामले की विस्तृत जांच कर आरोपी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए कहा था।

इसके बाद ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी ने इस मामले में जांच करते जहां ब्लड बैंक का दौरा कर जांच शुरू की, वही अब कर्मियों का रिकार्ड तलब किया गया है। अभी तक सेहत विभाग ने दो ही मामलों में जांच पूरी की है जबकि दो मामलों में जांच की अभी कोई जानकारी नहीं है। सोसायटी पदाधिकारियों में शामिल महिंदर सिंह व अन्य के अनुसार सेहत विभाग जिम्मेदारों को बचा रहा है। अब तक थैलेसीमिया पीड़ित 25 बच्चों की स्क्रीनिंग हो गई है जिसमें 4 की रिपोर्ट एचआईवी पॉजिटिव है।

दस्तावेज विभाग से मांगे गए हैं

ब्लड बैंक में तैनात व डिसमिस टेक्निशियनों की योग्यता संबंधी दस्तावेज विभाग से मांगे हैं। दस्तावेजों की पूरी जांच होगी। ब्लड बैंक में पैैथोलॉजिस्ट बीटीओ तैनात करने व ट्रेनिंग की जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन की होती है।
रमन गुप्ता, ड्रग इंस्पेक्टर, बठिंडा

ट्रेंड स्टाफ की होती है नियुक्ति

एसोसिएशन को कर्मियों की योग्यता पर कोई संदेह है तो वह हमें लिखित में दे सकते हैं, इसकी जांच करवाई जाएगी। अनुभवी व ट्रेंड स्टाफ को ही ड्यूटी दी जाती है। डॉक्यूमेंट की सीनियर अथॉरिटी द्वारा जांच में किसी को कोई परेशानी नहीं है।
मनिंदरपाल सिंह, एसएमओ, सिविल अस्पताल



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December 06, 2020 at 05:24AM

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