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Saturday, December 5, 2020

डीजीपी से सीपी दफ्तर तक काटे चक्कर, पिता ने खुद जुटाए फुटेज-सबूत, 6 पर हत्या का पर्चा

शिमलापुरी स्थित बरोटा रोड पर नहर के पास सवा साल पहले दशहरे की रात को संदिग्ध हालातों में एक्टिवा पर युवक दया सिंह चाहल (26) का शव मिलने के मामले में अब पुलिस ने उसके 6 दोस्तों पर हत्या का पर्चा दर्ज किया। एफआईआर दर्ज कराने के लिए मृतक के घरवाले डीजीपी से लुधियाना सीपी दफ्तर के चक्कर काटते रहे और खुद सबूत जुटाए। यही वजह रही कि फैक्ट्स के आधार पर पर्चा किया गया। आरोपियों की पहचान अमनदीप सिंह, हरसिमरन सिंह, हैरी, नमन, कश्यप, सुमित और अज्ञात के रूप में हुई है। फिलहाल उसकी तलाश में पुलिस रेड कर रही है। उधर, जांच अफसर सुखविंदर सिंह ने बताया कि जांच के बाद पर्चा हुआ है। लिहाजा अभी मामले की पड़ताल कर रहे हैं। जल्द आरोपी गिरफ्तार कर लिए जाएंगे।

आरोप}एक आरोपी चंडीगढ़ के पुलिस अफसर का बेटा, इसलिए लटकाया मामला

बेटे के पैरों पर रगड़ने के निशान देख हुआ था शक
जगराओं के बलविंदर सिंह ने पुलिस को बयान दिया कि उनका बड़ा कनाडा में डॉक्टर है, जबकि छोटा दया सिंह प्राइवेट डॉक्टरी की पढ़ाई लुधियाना में कर रहा था। यहां वो गांव गिल में पीजी में रहता था और उसके साथ आरोपी भी थे। अक्टूबर 2010 में रात को उनका बेटा दया पीजी से निकला, लेकिन वो नहीं लौटा। सुबह उन्हें आरोपियों ने फोन कर बताया कि उनके बेटे का एक्सीडेंट हो गया है। यह सुनकर वो अस्पताल पहुंचे तो उन्हें बताया कि उसकी मौत हो गई। लिहाजा उसका पोस्टमार्टम होगा। अगले दिन वो बीमार पड़ गए। फिर उनके भाई के बेटे अस्पताल गए, जहां पुलिस ने मर्जी से 174 की कार्रवाई कर दी और उन्हें बिना

दस्तावेज पढ़ाए हस्ताक्षर करवा लिए। इस दौरान पुलिस ने अपनी तरफ से मामले को बंद कर दिया, क्योंकि वो खुद तीन महीने तक बीमारी की वजह से केस को नहीं देख पाए। इसके चलते केस ठंडे बस्ते में चला गया, लेकिन उन्हें बेटे के दोस्तों पर शक था, क्योंकि जब उन्होंने बेटे के शव को देखा तो उसके पैरों पर रगड़ने के निशान थे। इससे लगा कि उसे मारा कहीं और गया है और फिर उसे एक्टिवा पर बैठाकर लाया गया, फिर उसे नहर के नजदीक एक्टिवा पर छोड़कर चले गए। इसलिए उन्होंने पड़ताल शुरू की।

कनाडा में बैठा बड़ा भाई डीजीपी को करता रहा ई-मेल, लिखा- मेरे भाई की हुई हत्या

तब उन्होंने सीपी दफ्तर में जांच की शिकायत दी। इसे इलाके के एडीसीपी और एसीपी को मार्क कर दिया, लेकिन उन्होंने उनके चक्कर कटवाने शुरू कर दिए। रोज थाने बुला पूछताछ कर भेज देते थे। जब कार्रवाई नहीं होती दिखी तो कनाडा में बैठे उनके बेटे सुखदीप डीजीपी को ई-मेल कर मामले की और जांच करने की मांग की। इस दौरान बलविंदर सिंह ने खुद दस्तावेज जुटाने शुरू किए। जहां से दया का शव मिला, उसके पास से सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को चेक किया। इसमें एक्टिवा पर उसके साथ आरोपी नमन जाता हुआ नजर आया। इसे उन्होंने निकलवाया और पुलिस को दिया। इस दौरान मामले में एसआईटी का गठन किया गया, लेकिन वहां से निराशा हाथ लगी, क्योंकि जांच कछुआ चाल थी। वो फिर डीजीपी के समक्ष पेश हुए और उनका बेटा विदेश से बार-बार ईमेल करता जा रहा था। उन्होंने आरोप लगाया कि एक एसीपी इस केस में उनकी मदद करने वालों को पर्चे की धमकी देता रहा, क्योंकि सभी आरोपी रसूखदारों के बेटे थे, उनमें से एक आरोपी चंडीगढ़ में एसपी का बेटा था। इस वजह से केस को दबाने की कोशिश होती रही।



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Dp cut from DGP to CP office, father himself collected footage-evidence, murder form on 6

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December 05, 2020 at 05:20AM

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