आप कहां हो, डिप्टी साब नाके पर खड़े हैं, 36 नंबर मोटरसाइकिल वाले कहां हैं? जैसे ही रात 10 बजे कर्फ्यू का समय शुरु हुआ, पुलिस इसी तरह मुस्तैद हो गई। अपनी टीम को एक्टिव रखने के लिए एक पुलिस अधिकारी ने कहा- कर्फ्यू तोड़ने वालों में हरेक जवान 4 लोगों को राउंडअप कर वेरिफाई करें। इतने में करीब 10:15 बजे रेलवे स्टेशन से कुछ फौजी बाहर निकले। बोले- दिल्ली से शहीद एक्सप्रेस से उतरे हैं। उन्हें बस स्टैंड के लिए ऑटो तो नहीं मिला लेकिन रिक्शा वाले ने तीन गुना ज्यादा पैसे मांगे। अब जाना है तो देने पड़ेंगे।
पहले दिन अफरा-तफरी का रहा माहौल, दुकानें रहीं बंद, रेहड़ीवालों को पुलिस ने हटाया
दैनिक भास्कर की टीम ने नाइट कर्फ्यू लगने से पहले रेलवे स्टेशन से लेकर पुराने मोहल्लों और बीएमसी चौक तक मुख्य सड़कों का माहौल देखा। 9 बजे तक चौपाटी सुनसान हो चुकी थी। लोगों को रात 10 बजे से पहले घर पहुंचने की जल्दी थी। वाहनों की स्पीड तेज हो चुकी थी क्योंकि सभी को जुर्माने का डर था। बीएमसी चौक के पास एक चिकन के स्टाॅल को बंद कराने पुलिस गई तो उसने कहा- मुझे किसी ग्राहक ने भी नहीं बताया कि 10 बजे से कर्फ्यू है। सबसे बड़ी परेशानी उन लोगों को हुई, जो बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर बाहरी शहरों से आए थे। रेलवे स्टेशन पर मिले मकसूदां चौक के हरमिंदर सिंह बोले- पता था कि नाइट कर्फ्यू है लेकिन किसान आंदोलन का डर था कि कहीं ट्रेनें बंद न होे जाएं। व्यापारी हरमिंदर ने बैटरी रिक्शा 250 रुपए में लिया जबकि सफर करीब 10 किलोमीटर मात्र था। पहले दिन मास्क न पहनने वालों की बजाय लोगोें को घर भेजने पर पुलिस का फोकस था।
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December 02, 2020 at 05:04AM
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