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Friday, December 25, 2020

अन्न, धन, वस्त्र और गीता दान से मिलता है पुण्य

गीता जयंती प्रत्‍येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस बार 25 दिसंबर शुक्रवार को मनाई जाएगी। आचार्या इंद्र दास ने बताया कि इस साल गीता जयंती की 5157वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में कुंती पुत्र अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इसलिए इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है। महाभारत ग्रंथ का एक हिस्सा है गीता, इसके कुल 18 अध्याय हैं।

इनमें से 6 अध्याय कर्मयोग, 6 अध्याय ज्ञानयोग और अंतिम 6 अध्याय में भक्तियोग के उपदेश दिए गए हैं। आज से 5157 वर्ष पहले श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था जिससे अर्जुन के ज्ञान चक्षु खुल गए थे। उन्होंने ने बताया कि पुराणों के अनुसार गीता की उत्पति कलयुग आरंभ होने से 30 साल पहले हुई थी। श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद है। आचार्या ने बताया

कि गीता जयंती के दिन अन्न, धन और वस्त्र का दान हर किसी को करना चाहिए, लेकिन इस दिन एक खास चीज के दान का महत्व सबसे ज्यादा है। इस दिन गीता का दान ब्रह्माण को करना चाहिए। मान्यता है कि गीता का दान यदि मनुष्य करें तो उसे अमोघ पुण्य की प्राप्ति होती है। अाचार्या ने बताया कि गीता जयंती के दिन गीता को पढ़ना या सुनना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। गीता जयंती के दिन साधक को ब्रह्ममुहूर्त में

उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए और भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करना चाहिए।.इसके बाद एक साफ चौकी पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर उनके चरणों में भगवद् गीता को रखें। इसके बाद श्रीमद भगवत गीता पर गंगा जल छिड़कें और भगवान श्री कृष्ण और भगवद गीता का रोली से तिलक करें, रोली से तिलक करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण और श्रीमद भगवत गीता पर फूल अर्पित करने के बाद भगवान श्री कृष्ण की धूप व दीप से आरती उतारें और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं।



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December 25, 2020 at 05:29AM

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