कोरोना महामारी के बीच प्रशासन से बड़ा कैंप लगाने की मंजूरी न मिलने पर सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्त की कमी हाे गई है। 500 यूनिट से अधिक की क्षमता वाले ब्लड बैंक में हालात यह हैं कि इन दिनों ओ पॉजिटिव ब्लड बिल्कुल खत्म है। इमरजेंसी में भी किसी को ब्लड की जरूरत पड़ जाए तो बिना डोनर उसे ब्लड मिलना असंभव है लेकिन इमरजेंसी कोटे में 5 से 10 यूनिट ब्लड होना अनिवार्य है। चिल्ड्रन अस्पताल व जिले के अन्य सरकारी अस्पताल व सेहत केंद्रों में प्रतिदिन 35 से 40 यूनिट की खपत है।
जिक्र योग है कि कोरोना के कारण लगे कर्फ्यू व लॉकडाउन के दौरान विभिन्न संस्था व अन्य रक्तदानियों द्वारा 70 दिनों में ही 1611 यूनिट ब्लड डोनेट किया गया था। ब्लड बैंक इंचार्ज बीटीओ डाॅ. करिश्मा गोयल का कहना है कि रक्त की कमी के चलते कैंप लगाने के लिए जिला प्रशासन से मंजूरी मांगी गई थी। उन्होंने रक्तदान करने वाले संस्थाओं के सदस्यों से अपील की है कि 2-3 सदस्य आकर रक्तदान करें, ताकि रक्त की शार्टेज को पूरा किया जा सके। सिविल अस्पताल के एसएमओ डाॅ. मनिंदर पाल सिंह ने बताया कि ब्लड बैंक में चल रहे रैनोवेशन के कारण कुछ समस्या आ रही है। ब्लड बैंक में पिछले कुछ दिनों से ब्लड की समस्या आ रही है।
कैंसर पीड़ित पत्नी के लिए ओ पॉजिटिव ब्लड नहीं मिला
कैंसर अस्पताल में दाखिल महिला सीमा के पति गोपाल शर्मा ने बताया कि उनकी पत्नी 3 दिनों से अस्पताल में दाखिल शनिवार को डाक्टर ने ओ पॉजिटिव ब्लड चढ़ाने के लिए कहा। 11 बजे ब्लड बैंक पहुंच गया था, यहां पता चला कि पहले डोनर लेकर आना पड़ेगा। शनिवार को ब्लड नहीं चढ़ा, रविवार को अवकाश था, अब सोमवार को डोनर लेकर जाने पर ही ब्लड मिला। रामपुरा फूल गांव भाईरूपा के रहने वाले अर्जुन सिंह ने बताया कि उसकी भाभी की डिलीवरी है। डॉक्टरों ने ब्लड चढ़वाने के लिए कहा है। वह ब्लड बैंक में ब्लड लेने के लिए पहुंचे तो डोनर लाने काे कहा।
बिना मंजूरी लगाया कैंप, 70 यूनिट रक्त एकत्रित
तीन दिन पहले तलवंडी साबो सरकारी अस्पताल से एक संस्था द्वारा ब्लड डोनेशन कैंप लगाने के लिए एक पत्र सिविल सर्जन बठिंडा कार्यालय भेज कर गांव में ब्लड डोनेशन कैंप लगाने की मंजूरी व टीम की मांग की गई थी, परंतु पत्र सिविल सर्जन कार्यालय पहुंचा ही नहीं। सोसायटी द्वारा गांव में स्थित गुरुद्वारा साहिब में कैंप लगाया,जिसमें करीब 70 यूनिट ब्लड डोनेट हुअा। बताया जा रहा है कि हेल्थ डिपार्टमेंट में तैनात एक कर्मचारी ने बठिंडा के एक निजी ब्लड को कैंप में ब्लड एकत्र करने के लिए बुलाया था। जबकि सोसायटी ने कैंप में ब्लड एकत्र करने के लिए सिविल अस्पताल की सरकारी ब्लड बैंक की टीम की मांग की थी। ऐसे में अगर उक्त 70 यूनिट ब्लड सरकारी ब्लड बैंक के खाते में आता तो कम से कम 3 से 4 दिनों तक ब्लड कमी नहीं रहती और आसानी से जरूरतमंदों को ब्लड मिलता।
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July 29, 2020 at 04:46AM
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