सेंट्रल जेल में बैठकर गैंगस्टर और नशा तस्कर अपने धंधों को आॅपरेट कर रहे हैं। लेकिन इस नेटवर्क को पुलिस ब्रेक नहीं कर पा रही। इसका अंदाजा इस बात ये लगा लीजिए कि पुलिस को जो मोबाइल मिले, उसमें से 80 फीसदी में सिम ही नहीं मिले। क्योंकि ज्यादातर मोबाइल को डोंगल से कनेक्ट कर इंटरनेट कॉलिंग की जा रही है। ये सब मुलाजिमों की मिलीभगत से हो रहा है।
पुलिस के आकंड़ों की बात करें तो पिछले 6 महीनों में जेल से 162 मोबाइल फोन रिकवर किए जा चुके हैं। जिसमें 127 आरोपियों को गिरफ्तार कर 33 पर्चे दर्ज किए गए। लेकिन कई में सिम ही नहीं मिले। अब सिम मिले नहीं या फिर उन्हें शो नहीं किया गया, पुलिस के मुताबिक ये सब इंवेस्टिगेशन का पार्ट है। फिलहाल इतना जरूर पता चला कि जो मोबाइल मिले उसमें से कई में इंटरनेट काॅल की गई। इसके अलावा कैदियों द्वारा साथियों, तस्करों व गर्लफ्रेंड्स से बातें की गई हैं।
निक्का जटाणा ने गड्ढा खोदकर छिपा रखा था मोबाइल
धर्मपुरा इलाके में नानू नाम के हत्या की कोशिश के मामले में जेल में बंद आरोपी के घर पर करीब डेढ़ महीना पहले कुछ लोगों ने फायरिंग की थी। इसके बाद जेल में बंद बंबीहा गैंग के निक्का जटाणा ने फेसबुक पर लिखा कि उक्त हमला उसने करवाया था। जिसके बाद उसे प्रोडक्शन वॉरंट पर लाया गया तो उससे मोबाइल नहीं मिला।
लेकिन कुछ दिन पहले एडीसीपी क्राइम हरीश दयामा और उनकी टीम जेल में अचानक पहुंची। जहां उन्होंने आरोपी की निशानदेही पर जमीन में गड्ढा खोदकर 10 पैकिंग में लिपटे हुए फोन को निकाला। इसमें से कई मैसेज और पंजाब के अलग-अलग जिलों में की गई कॉलिंग पुलिस को मिली। जिसकी पड़ताल चल रही है। फिलहाल उक्त मामले में हमला करने वाला अभी तक एक भी आरोपी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा।
जेल से मैसेज एक कांड के बाद पकड़ा जाएगा कांचा
शिमालपुरी इलाके में रमनदीप हत्याकांड के मुख्यारोपी कांचा, सोनू और उसके बाकी के साथियों का 51 दिन बीत जाने के बाद भी कुछ पता नहीं चल पाया। जबकि इस हत्या की साजिश भी जेल से रची गई थी। सूत्र बताते हैं कि जेल में बंद गैंगस्टर मैसेज के जरिए बता रहे हैं कि गैंगस्टर कांचा अपने भाई से मारपीट का बदला लेने के बाद ही पुलिस के हत्थे चढ़ेगा। लेकिन अभी तक उक्त मैसेज करने वालों को पुलिस ट्रेस नहीं कर पाई।
सरप्राइज रेड्स के साथ दो पीसीआर मुलाजिमों को किया तैनात
- कोरोना की वजह से चेकिंग कुछ कम हुई है। मगर फिर भी सरप्राइज रेड्स की जा रही है। ज्यादातर मोबाइल जेल के बाहर से फेंके जाते हैं। लिहाजा अब हमने अपने मुलाजिमों के साथ-साथ पुलिस की मदद से दो पीसीआर को भी लगाया है, ताकि मोबाइल व नशीले पदार्थों पर रोक लगाई जा सके। -राजीव अरोड़ा, जेल सुपरिंटेंडेंट
- जेल से मिलने वाले मोबाइल्स को इंवेस्टिगेट किया जाता है। लेकिन जो मोबाइल अपने जेल से मिलते हैं, उसमें ज्यादातर में सिम नहीं होते। जिसमें मिलते हैं, उसमें पड़ताल के बाद पर्चे भी रजिस्टर किए गए हैं। -हरीश दयाम, एडीसीपी क्राइम एंड नोडल अफसर जेल
जिन मोबाइल में सिम मिले वे किसके नाम पता नहीं
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जिन मोबाइल में सिम नहीं मिला, वो सिर्फ इंटरनेट कालिंग और चैटिंग के लिए इस्तेमाल किया गया। जिसके लिए गैंगस्टरों ने जेल में डोंगल यूज किया। लेकिन ये समझ से बाहर है कि बिना सिम के कैसे वॉट्सएप और फेसबुक चला रहे हैं। इन 162 मोबाइल में से जिन 20 फीसदी में सिम मिले, अभी तक न तो उसके जेल में पहुंचने का सोर्स पता चला और न ही सिम किसके नाम पर है, उसका। जोकि अपने आप में एक पहेली है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
https://ift.tt/3jHCXbn
July 27, 2020 at 05:14AM
No comments:
Post a Comment