स्थानीय सरकारी अस्पताल एक प्रोफेसर की मौत के कारण विवादों के घेरे में हैं। प्रोफेसर की पत्नी ने पूरे प्रकरण की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को फेसबुक पर टैग की है और अबोहर के विधायक अरुण नारंग ने इस मामले में तुरंत प्रभाव से सीएम से दखल की मांग करते हुए मीडिया के नाम प्रेस विज्ञप्ति जारी की है।
डीएवी बीएड कॉलेज के प्रो. परविंदर कंबोज की पत्नी नीता ने आरोप लगाया कि 20 जुलाई को उनके पति की हालत बिगड़ने से सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया था, लेकिन वहां किसी भी डॉक्टर में उनकी अच्छे से देखभाल नहीं की। उनकी खांसी जुकाम था इसलिए उनके कोरोना का सैंपल लिया गया। सैंपल अस्पताल के स्टाफ ने अगले दिन 21 जुलाई को टेस्ट के लिए भिजवाया।
इसके बाद अस्पताल ने उनको फरीदकोट रेफर कर दिया, लेकिन जितना समय वह अबोहर के सरकारी अस्पताल में रहे उनकी कोई देखभाल नहीं की गई। 23 जुलाई को प्रोफेसर कंबोज की उपचार के दौरान फरीदकोट में मौत हो गई। नीता ने स्वास्थ्य विभाग और सिविल अस्पताल पर आरोप लगाते हुए लिखा है कि अबोहर अस्पताल के डॉक्टरों ने उनका न बीपी चेक किया और न ही कोई टेस्ट किया। हालत बिगड़ने पर उन्हों फरीदकोट रेफर कर दिया । वहां के स्टाफ ने भी प्रो. कंबोज का कोई अच्छे से इलाज नहीं किया।
कोई लापरवाही नहीं बरती गई : एसएमओ
सिविल अस्पताल अबोहर के एसएमओ डॉ. गगनदीप सिंह ने बताया कि उन्होंने प्रो. परविंदर कंबोज का पूरा चेकअप करने के बाद जब उसकी हालत बिगड़ने लगी तो उसे सरकारी एम्बुलेंस से फरीदकोट रेफर किया था। उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है। प्रो. कंबोज की 16 जुलाई को हालत बिगड़ने लगी थी, वह घर पर ही इलाज करते रहे और 20 जुलाई को उनके पास आए थे। इसमें सिविल अस्पताल की कोई लापरवाही नहीं है।
विधानसभा में उठाया जाएगा मुद्दा : विधायक
विधायक अरुण नारंग ने कहा कि केवल अपने कार्यालयों में बैठकर प्रेस विज्ञप्ति जारी करने से कोरोना पर काबू नहीं पाया जा सकता। उन्होंने कहा कि पंजाब में दिन प्रतिदिन कोरोना के केस बढ़ते जा रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग लापरवाही बरत रहा है। वह इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे।
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July 28, 2020 at 04:00AM
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