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Thursday, December 3, 2020

कृषि कानूनों का विरोध, एक टोली दिल्ली से आ रही, दूसरी जा रही,राशन दिल्ली ले जाने से लेकर गांव में लोगों को सिलेंडर तक मुहैया करवाने की जिम्मेदारी निभा रहे

अनुभव अवस्थी |केंद्र सरकार द्वारा पारित 3 कृषि कानूनों को बेअसर कराने के लिए जहां किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाल दिया है, वहीं किसानों की मदद के लिए हर तरफ से हाथ उठ रहे हैं। किसानों और गांव में खाने-पीने की कोई दिक्कत न हो, इसलिए शहर से गैस सिलेंडर से लेकर अन्य सामान भेजा जा रहा है। करीब दो दर्जन युवा किसान टोलियां बनाकर दिल्ली बॉर्डर पर शिफ्ट वाइज जा रहे हैं। गांव में महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं जोश देखते ही बन रहा है। ग्रुप वाइज दिल्ली बॉर्डर पर किसानों काे भेजा जा रहा है। बाॅर्डर पर जब एक टोली पहुंचती है तो वहां पहले से विरोध प्रदर्शन कर रही टोली वापस आती है।

महिलाएं भी पीछे नहीं... किसान मोर्चा संभाले हुए हैं तो वे घर से लेकर खेतों तक की जिम्मेदारी निभा रहीं

हाईवे किनारे बने शिविर...जालंधर के नाहला, विधिपुर और कुक्कड़ पिंड की तरफ से अमृतसर, बटाला, जालंधर, पटियाला से लेकर दिल्ली बॉर्डर तक गांव-गांव हाईवे किनारे रुकने के लिए 15 शिविर बनाए गए हैं। लंगर की स्थायी व्यवस्था की गई है कि जिससे दिल्ली आने-जाने वाले किसानों को रात या फिर दिन के समय रुकने और खाने-पीने में कोई दिक्कत न हो।

मदद को चल रहा मंथन-दिल्ली के बॉर्डर पर इस समय बैठे किसानों को कैसे मदद पहुंचाई जाए, इसके लिए गांवों में बुजुर्गों, युवाओं, महिलाओं में अलग-अलग बैठकें हो रही हैं। इस संबंध ऑल इंडिया जट्ट महासभा के सीनियर नेता राजिंदर सिंह बडहेड़ी ने बताया कि आंदोलन में कम से कम 3 से 4 महीने तक खाने पीने की कोई कमी न हो, इसके लिए कैसे राशन इकट्ठा किया जाए और फिर इसे कैसे दिल्ली पहुंचाया जाए- इस पर ग्रामीण मिलकर काम कर रहे हैं। किसानों को सरसों का साग, मक्की का आटा तक पहुंचाया जा रहा है।

ऑनलाइन हो रहे कनेक्ट-किसान आंदोलन में गांवों में कई दलों के लोग भी पहुंच रहे हैं। मगर गांव वाले इन राजनीतिक दलों के लोगों को आसपास ठहरने नहीं दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि उनका मुद्दा है। इसे वे खुद ही मिलकर लड़ेंगे। कई गांवों में ग्रामीणों ने एक-दूसरे से कनेक्ट होने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप तक बना रखे हैं।

इन ग्रुपों के जरिये यदि किसी परिवार में कोई समस्या आ रही है तो उसके निपटारे के लिए तुरंत लोग पहुंच जाते हैं। नाहलां गांव के मेजर सिंह, विधिपुर के मनप्रीत सिंह और हरभुपिंदर कौर एवं कुक्कड़ पिंड के गोपी सिंह ने बताया कि गांवों में इस कदर लोग सक्रिय हैं कि खेतों में काम करने के साथ ही जानवरों को चारा खिलाने के लिए मदद करने के लिए तैयार हैं।



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नाहलां गांव से दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले किसान।

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December 03, 2020 at 04:31AM

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